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हिंदू पंचांग का आरंभ चैत्र मास से होता है। चैत्र मास से पाँचवा माह श्रावण मास होता है।


हिंदू पंचांग का आरंभ चैत्र मास से होता है। चैत्र मास से पाँचवा माह श्रावण मास होता है। ज्योतिष विज्ञान के अनुसार इस मास की पूर्णिमा के दिन आकाश में श्रवण नक्षत्र का योग बनता है। इसलिए श्रवण नक्षत्र के नाम से इस माह का नाम श्रावण हुआ। इस माह से चातुर्मास की शुरुआत होती है। यह माह चातुर्मास के चार महीनों में बहुत शुभ माह माना जाता है। 
को विष्णु तो श्रावण माह को शिव का प्रमुख महीना माना जाता है। जिस तरह इस्लाम में रमजान का माह रोजे (व्रत) का माह होता है उसी तरह हिन्दुओं में सावन और कार्तिक का महीना व्रत का महीना होता है। इसमें भी सावन के माह का सबसे ज्यादा महत्व होता है। हलांकि वर्षभर ही कोई न कोई उपवास चलते रहते हैं जैसे एकादशी, चतुर्दशी आदि। लेकिन चातुर्मास, श्रावण मास और कार्तिक माह की महिमा का वर्णन वेद-पुराणों में मिलता हैं।

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श्रावण का अर्थ : श्रावण शब्द श्रवण से बना है जिसका अर्थ है सुनना। अर्थात सुनकर धर्म को समझना। वेदों को श्रुति कहा जाता है अर्थात उस ज्ञान को ईश्वर से सुनकर ऋषियों ने लोगों को सुनाया था।

इस माह के पवित्र दिन :इस माह में वैसे तो सभी पवि‍त्र दिन होते हैं लेकिन सोमवार, गणेश चतुर्थी, मंगला गौरी व्रत, मौना पंचमी, श्रावण माह का पहला शनिवार, कामिका एकादशी, कल्कि अवतार शुक्ल 6, ऋषि पंचमी, 12वीं को हिंडोला व्रत, हरियाली अमावस्या, विनायक चतुर्थी, नागपंचमी, पुत्रदा एकादशी, त्रयोदशी, वरा लक्ष्मी व्रत, गोवत्स और बाहुला व्रत, पिथोरी, पोला, नराली पूर्णिमा, श्रावणी पूर्णिमा, पवित्रारोपन, शिव चतुर्दशी और रक्षा बंधन। 
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